आज तन्हाईमें बस यूँ ही वक्त गुजारना था ,
चाहते थे न कोई आस पास हो ....
तुम्हारे साथ बात करनी थी यूँ ही अकेले में ,बस मैं हूँ और मेरी तनहाई हो ....
फ़िर भी तुम्हारी वह यादें हमें घेरने आ गई ,
तुम कहीं भी पास न थे मेरे ,
फ़िर भी एक अश्क का बूंद आंखों को दे गई ,
यूँ तुम्हारे खयालने हमें रहने न दिया था तनहा .......
तुम हो और हम है ,
बिल्कुल यूँ आमने सामने ही ,
थोडेसे खोयेसे थोड़े से खयालोंमें ,
अब दोनों ही अकेले है पर तनहा नहीं ..
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