ख्वाबोंकी तो तासीर होती ही है टूट जाने की ,
तो टूटने के डर से क्या ख्वाब देखना ही छोड़ देंगे हम ?
मोहब्बत में दिल टूट भी जाते है कभी ,
तो दिल टूटनेके डर से मोहब्बत करना ही छोड़ देंगे हम ?
ख्वाब भले ही टूट जाए हम तो ख्वाब देखते ही जायेंगे ....
हमारा वजूद ,हमारी उम्मीदें जहाँ है जुड़ी ,
हमतो दिल में उन्हें बसाए ही जायेंगे ....
आँधियोंमें उम्मीदों के दिए पर धरकर अपनी हथेलियाँ ,
बुझने नहीं देंगे कभी उनको हम ....
हम जब ख़ुद ही एक ख्वाब जो है तो ,
ख्वाबमें ही जिए चले जायेंगे ......
देखो डूबती हुई रात के एक सितारे की उंगली थाम ......
हम सुबह की दहलीज पर आकर है खड़े ,
पहेली किरण सूरजकी अपनी आँखों से जहन में उतारी है ,
मुड़कर नहीं देखते कभी पीछे क्योंकि...
आगे सारी कायनात ही हमारी है ....!!!!
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