ये वक्त तो रेतकी तरह है,रफ्तार लिये है अपनी,
एक पल ऐसा आता है, जैसे कोई हमें बुलाता है,
ये वक्तका ही तकाजा है, पल भर के लिये सही
उस वक्त होता नहीं वक्त हमारे पास है.....
वो चेहरा अनकही खामोशी लिये,
एक बार फिर दुनियाकी भीडमें खो जाता है...
जब फुरसद के लम्होंमें उस चेहरेकी याद आती है,
दिल उसे तब मिलना भी चाहता है.....
खबर आती है उस वक्त बहती हवाओंके साथ,
जो पल वो रुबरु हुआ था आपसे,
आपसे आखरी बार अलविदा कहने आया था,
तुम्हारी यादोंके साथ दुआएं देकर रुखसत कर गया था......
अब चाहे कितने ही आंसू बहालो,
कितना भी दिलसे पुकारलो,
वो गुजरा हुआ लम्हा था वक्तका,
तुम्हारे चाहने पर भी लौटकर वापस न आयेगा.......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
31 दिसंबर 2008
अलविदा २००८ !!!!!!
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
वक़्त कभी-कभी बहुत ज़ालिम हो जाता है
जवाब देंहटाएंआपको नव-वर्ष की मंगल कामनाएं के साथ हार्दिक शुभकामना
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंआप तथा आपके पूरे परिवार को आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !