ढूंढते रहते हो आप गली गली-शहर शहर लेकर पता हाथमें ,
बेसब्रीकी ये इन्तेहां थी की सामने ही मेरा घर था,
मुझे ही आप पता पूछ रहे थे मेरे घरका क्योंकि,
आपने मुझे कभी देखा न था, और प्यार जहनमें उभरी एक तस्वीरसे किया था......
=========================================================
दर्द उभरता है जब आंसु बनकर, ये स्याही बन जाते हैं...
अंगुली पोंछ लेती है गालोंसे उसको तब ये कलम बन जाती है....
हाथोंका रुमाल भीग जाते हैं उससे ये कागज बन जाते हैं,
दुनिया जब पढती हैं इन अफसानोंको तो ये गजल कहलाते हैं......
======================================================
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें