5 दिसंबर 2008

तो अफ़साने बना करते है

सिर्फ़ जिस्म अगर साथ साथ रहते हो तो मतलब नहीं कोई जज्बात का ,
फुरकत में भी दिल जब एक ही सुर में धड़कते है ,
तो अफ़साने बना करते है ,
यही तो वजह है जब किसी अजनबी भी दिल को अपना लगता है ,
अगर दिल की मोहब्बत नहीं जोड़ती हमें तो अपना भी बेगाना लगता है ....!!!!

सितारोंसे लड़कर लिख ली थी उसने भी अपनी तक़दीर ,
पर तदबीरका साथ नहीं मिल पाया उनसे ...
क्योंकि हाथों की लकीरों में ही ढूँढता रह जाता है कोई जब ,
आख़िर में इन्तजार करके लौट चुके थे जिसका इन्तजार था ....!!!

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