आज एक बार फिर दिलमें एक चाहत है,
पलकें मूंद लूं अपनी,
और ख्वाबोंको टटोलूं जरा,
अपने दामनमें कुछ सितारें मढ लूं,
और जहां के दामनसे कुछ मोती चून लुं.............
एक ख्वाहिश मचल उठी है जहनमें
फूलोंकी राह हो महकती हुई,
और ये राहें यूं ही चलती रहे शामो सहर....
बस ये लम्हा इधर ही रुक जाये,
और इस रातकी सुबह ना हो पाये..........
भीडमें खोने लगी हूं मैं,
चेहरोंसे घिरने लगी हूं मैं,
बस एक लम्हेकी तलाश है,
अपने आपसे मिल पाऊं पल भरके लिये,
रुक जाती हूं यूं ही यहीं पर,
ना हो कोई संग, ना हो कोई साथ,
एक पल अब चुराती हूं,
और इस पलमें पूरी कायनात जी लेती हूं..............
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
4 दिसंबर 2008
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