वक्त के इस छोर पर मैं खड़ी थी ,
वक्त उस छोर पर खड़ा था ...
मैं मुस्कुराई तो वक्त मुस्कुराया ,
मैंने हाथ हिलाया तो उसने भी हाथ हिलाया ,
लगा ऐसे जैसे आयने के सामने खड़ी हूँ ...
खुद को निहारती हुई ,
पर ये वक्त का आयना है शायद ,
कभी मुझे पीछे सैर कराने ले चलता
और फिर वहां पर छोड़ता जहाँ खड़ी थी ,
हर समय एक महसूसियत के साथ एक चुभन होती ,
उस वक्त में कितनी खुश थी ???!!!!
पर एक दिन मैंने पलटकर देखा तो लगा
मैं पीछे रह गयी और दुनिया कितनी बदल गयी ,
आयने के झांसे को तोड़ कर मैं
मुस्कुराते हुए चल दी ,
जहाँ वर्तमान खड़ा था बाहें फैलाये ...!!!
वक्त उस छोर पर खड़ा था ...
मैं मुस्कुराई तो वक्त मुस्कुराया ,
मैंने हाथ हिलाया तो उसने भी हाथ हिलाया ,
लगा ऐसे जैसे आयने के सामने खड़ी हूँ ...
खुद को निहारती हुई ,
पर ये वक्त का आयना है शायद ,
कभी मुझे पीछे सैर कराने ले चलता
और फिर वहां पर छोड़ता जहाँ खड़ी थी ,
हर समय एक महसूसियत के साथ एक चुभन होती ,
उस वक्त में कितनी खुश थी ???!!!!
पर एक दिन मैंने पलटकर देखा तो लगा
मैं पीछे रह गयी और दुनिया कितनी बदल गयी ,
आयने के झांसे को तोड़ कर मैं
मुस्कुराते हुए चल दी ,
जहाँ वर्तमान खड़ा था बाहें फैलाये ...!!!
सुंदर कविता
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