जलती हुई चाहत दिल में सुलग रही थी ,
न जाने कहीं से शबनम की बून्द टपकी ,
झख्म पर हुई जलन कराह निकली यूँ ,
वो बून्द आंसू की थी नमक मिली ....
कौन किसी से मिला है चाहकर कभी ,
बस हमराही थी की साथ चलते चलते
पहचान हुई और लगा की जानते है हम
एकदूसरे को पिछले जन्म से ....
क्या देखा की तुम अच्छे लगने लगे सबसे ,
क्या महसूस किया बुरा तो कोई नहीं ,
मैं भी वही हूँ , हो तुम भी वही ,
फर्क शायद नजर नहीं नजरिये का होगा ....!!!!
न जाने कहीं से शबनम की बून्द टपकी ,
झख्म पर हुई जलन कराह निकली यूँ ,
वो बून्द आंसू की थी नमक मिली ....
कौन किसी से मिला है चाहकर कभी ,
बस हमराही थी की साथ चलते चलते
पहचान हुई और लगा की जानते है हम
एकदूसरे को पिछले जन्म से ....
क्या देखा की तुम अच्छे लगने लगे सबसे ,
क्या महसूस किया बुरा तो कोई नहीं ,
मैं भी वही हूँ , हो तुम भी वही ,
फर्क शायद नजर नहीं नजरिये का होगा ....!!!!
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