आसमानोंमें जम रही थी हवाएँ ,
बर्फ बनकर गिर रही थी रुई सी ....
वो अंगीठी की तपिश से खुद को
गर्म करने की नाकाम कोशिशें
बदनमें सिरहन बनकर उमड़ रही थी ....
आसमान चुप था ,
जुगनू बैठ गए थे छुपकर ,
रातका वो मध्धम संगीत भी सो रहा था ,
चाँद खोज रहा था बादलों का दुशाला ,
सितारों को ये ख़ामोशी अच्छी लग रही होगी शायद
इसी लिए वो सारे वैसे ही टीम टीमा रहे थे ...
ऐसे में मेरे फोन का बजना
और धीरी आवाज से वो तुम्हारा कहना
हेलो ....... !!!
बर्फ बनकर गिर रही थी रुई सी ....
वो अंगीठी की तपिश से खुद को
गर्म करने की नाकाम कोशिशें
बदनमें सिरहन बनकर उमड़ रही थी ....
आसमान चुप था ,
जुगनू बैठ गए थे छुपकर ,
रातका वो मध्धम संगीत भी सो रहा था ,
चाँद खोज रहा था बादलों का दुशाला ,
सितारों को ये ख़ामोशी अच्छी लग रही होगी शायद
इसी लिए वो सारे वैसे ही टीम टीमा रहे थे ...
ऐसे में मेरे फोन का बजना
और धीरी आवाज से वो तुम्हारा कहना
हेलो ....... !!!
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