बेटी तू तो परायी अमानत है ,
तू जहाँ ब्याह कर जायेगी वो ही तेरा घर ..
माँ बापू से ये सुना हरदम ...
माँ तूने जन्म दिया और बापू ने पढ़ाया ,
क्या ये मेरा घर नहीं है ????
ब्याह करके बिदाई के वक्त :
माँ बोली ये तेरा नैहर है बिटिया अब से
अब तू अपने घर जा रही है .....
सास कहे अब परायी जनी
क्या जाने इस घर के रस्मो रिवाज सब ???
मारन ताडन से दम घुंटता है
तो क्यों नहीं जाती अपने घर वापस ???
मेरा घर कौनसा ???
मैंने एक नौकरी ढूंढी है ....
अब अपनी कमाई से मैं एक घर बनाऊँगी ...
वो मेरा घर होगा जहाँ कोई मुझे नहीं कहेगा :
चली जा अपने घर ...
तू तो परायी अमानत है ,ये घर भैया का है .....
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-01-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2214 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ....
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