मुद्दतें हो गई कल रात जहनमें तेरा नाम याद आया ,
तुझे भेजा था खत लिख कर पैगाम याद आया …
तुम्हारे और मेरे बीच यादोंमे भी दूरिया हो गयी अब ,
कहाँ से चले थे कहाँ पहुंचे है हम वो वक्त गुजरा याद आया …
आज कोई और है मेरे पास ,
आज कोई है मेरा खास .
तेरी याद भुलाने के लिए वो खुद को भी भूल गया ,
उसने किया जिक्र तुम्हारा इसी लिए तू याद आया …
क्या कहूँ इसे तुम्हारी मज़बूरी या बेवफाई ,
तुम्हारी यादो में कभी वो एहसास न आया …
मज़बूरी कभी बेवफाई करने को मजबूर कर देती होगी ,
लो आज पता चला और ये इल्ज़ाम मिटाने का काम याद आया …
तुझे भेजा था खत लिख कर पैगाम याद आया …
तुम्हारे और मेरे बीच यादोंमे भी दूरिया हो गयी अब ,
कहाँ से चले थे कहाँ पहुंचे है हम वो वक्त गुजरा याद आया …
आज कोई और है मेरे पास ,
आज कोई है मेरा खास .
तेरी याद भुलाने के लिए वो खुद को भी भूल गया ,
उसने किया जिक्र तुम्हारा इसी लिए तू याद आया …
क्या कहूँ इसे तुम्हारी मज़बूरी या बेवफाई ,
तुम्हारी यादो में कभी वो एहसास न आया …
मज़बूरी कभी बेवफाई करने को मजबूर कर देती होगी ,
लो आज पता चला और ये इल्ज़ाम मिटाने का काम याद आया …
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