कांच सी नाजुक ये जिंदगी
बस कभी कभी ताज्जुब कर जाती है ,
क्या होता है कुछ ऐसा कि ,
वो पत्थर से टकरा कर भी साबूत ही रह जाती है ??!!!!
कभी फौलाद से भी मजबूत मन
यूँ बेबसी के आलम से होकर गुजरता है ,
आंसू जलती मोमबत्तीकी तरह बिखर जाते है ???!!!
अय जिंदगी तुम और मैं साथ चलते है ,
एक ही राह पर दो किनारे पर ,
फिर भी ठोकर लगते हर वक्त …. हर वक्त …
तू ही मेरी बाहें थाम कर मुझे संभालती है ???!!!!
दुश्मनोंसे सलूक किये है मेरे साथ हरदम ,
पर फ़र्ज़ तूने निभाए सच्चे दोस्त बन कर क्यों ????
क्या रिश्ता है तेरा मेरा ?????
बस कभी कभी ताज्जुब कर जाती है ,
क्या होता है कुछ ऐसा कि ,
वो पत्थर से टकरा कर भी साबूत ही रह जाती है ??!!!!
कभी फौलाद से भी मजबूत मन
यूँ बेबसी के आलम से होकर गुजरता है ,
आंसू जलती मोमबत्तीकी तरह बिखर जाते है ???!!!
अय जिंदगी तुम और मैं साथ चलते है ,
एक ही राह पर दो किनारे पर ,
फिर भी ठोकर लगते हर वक्त …. हर वक्त …
तू ही मेरी बाहें थाम कर मुझे संभालती है ???!!!!
दुश्मनोंसे सलूक किये है मेरे साथ हरदम ,
पर फ़र्ज़ तूने निभाए सच्चे दोस्त बन कर क्यों ????
क्या रिश्ता है तेरा मेरा ?????
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [16.09.2013]
जवाब देंहटाएंचर्चामंच 1370 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
बढ़िया व्याख्या रिश्ते की इस रचना में
जवाब देंहटाएं"आंसू जलती मोम बत्ती की तरह बिखर जाते हैं "बहुत सुन्दर |
आशा
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंजंगल की डेमोक्रेसी