22 जुलाई 2013

क्यूं ..??क्यों ???


ये इश्कका मकाम ही तो है ,

फूलोंके तोहफे जहाँ हमें मिले कई ....

पर आपके फुल हमें लगे कुछ ख़ास है ,

'क्यूँ कि ' आपके फूलोने ही हमें दिए थे जख्म ....


जख्मसे टपका लहू आँखोंसे अश्ककी तरह दरिया बन ,

जब तुमसे बिछड़कर् तनहा जिया करते थे ....

कोई चेहरा तस्वीर बनकर दिलमें नही उभरा कभी ,

"क्यूँ" आपकी तस्वीर आज हमारे रूबरू उभरकर आई है ??


कसक है मीठी प्यारकी जो दर्द बनकर साँस घुल रही है शायद ,

आप सवाल बनकर ही सजी रहे सामने हमारे ,

आपका न हमें कोई भी जवाब मिले ...,

"क्यूँ " जुडा रहेगा जिंदगीसे तो ,

और शायद बनी रहेगी कशिश जीनेकी .....!!!

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