ये इश्कका मकाम ही तो है ,
फूलोंके तोहफे जहाँ हमें मिले कई ....
पर आपके फुल हमें लगे कुछ ख़ास है ,
'क्यूँ कि ' आपके फूलोने ही हमें दिए थे जख्म ....
जख्मसे टपका लहू आँखोंसे अश्ककी तरह दरिया बन ,
जब तुमसे बिछड़कर् तनहा जिया करते थे ....
कोई चेहरा तस्वीर बनकर दिलमें नही उभरा कभी ,
"क्यूँ" आपकी तस्वीर आज हमारे रूबरू उभरकर आई है ??
कसक है मीठी प्यारकी जो दर्द बनकर साँस घुल रही है शायद ,
आप सवाल बनकर ही सजी रहे सामने हमारे ,
आपका न हमें कोई भी जवाब मिले ...,
"क्यूँ " जुडा रहेगा जिंदगीसे तो ,
और शायद बनी रहेगी कशिश जीनेकी .....!!!
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