कभी फुर्सतमें मिलते हो ,कभी फुर्कतमें मिलते हो ,
कभी भरे बाज़ारमें दिखते हो ,कभी ख्वाबोंमें मिलते हो ,
कभी लब्ज़ तक नहीं कह पाते ,कभी निगाहें करम बोलती है ,
ये जिंदगी आपकी अमानत है ये कहानी बेजुबां बन कहती है .....
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इनकार नहीं किया कभी ,इंतज़ार नहीं किया कभी ,
इकरार नहीं किया कभी फ़िर भी हमने ऐतबार किया आप पर ....
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एक कोरे कागज़ पर उभरी तसवीर थी तुम ,
एक ख्वाब रातमें देखा था शिद्दतसे कभी उसकी ताबीर थी तुम ,
एक अंजाम जो खुशफहमी बना उसका आगाज़ थी तुम ,
एक सच जो सिर्फ़ ख्वाबमें ही अच्छा था आज हमारी बीवी हो तुम ..........
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इनकार नहीं किया कभी ,इंतज़ार नहीं किया कभी ,
जवाब देंहटाएंइकरार नहीं किया कभी फ़िर भी हमने ऐतबार किया आप पर ...
बहुत उम्दा शेर ... सभी लाजवाब ...