23 अक्तूबर 2012

ये बेवफा

पता नहीं ये क्या हुआ है ??
दिल रो रहा है फुट फुटकर
और ये बेवफा होठ
मुस्कुरा रहे है ????
दर्द की दास्ताँ बयां करने के
ये भी अलग अंदाज़ होगे ....
दुनिया जान न ले अपने दर्द को कभी
इस लिए इसे छुपा लेनेको
ये लब मुस्कुराते रहते होगे ......
बस ये रात ही तो है सखी सहेली मेरी ,
ये सिरहाने का तकिया है गवाह इकलौता ,
जिसकी नमीसे ऑस जमती है
सहरमें फूलों पर ,
और तकिया एक नज़्मको
खारे पानीसे धो देता है .........

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