17 अक्तूबर 2012

किस्मत

हाथमे एक कागज़ है ,
दुसरे हाथमे एक कलम है ,
नज़रें दूर कहीं तक रही है ...
और बिना कागज़ की और देखे
कलम एक तस्वीर बना देती है ....
अनदेखा अनजाना  चेहरा
वो तस्वीरसे झांखता हुआ ,
देखकर दिलने कहा
अरे ये तो तुम ही हो ...
तुम्हारी तलाशमें घूम रही है
नज़रें कभी आर कभी पार ...
अनायास कहीं दिखो तो ....
तुम्हे दिलमे कैद कर लूँ !!!!
और किवाड़ पर दस्तक ....
सामने तुम हो !!!!
हाथमे एक टुकड़ा कागज़का है ...
पता पूछ रही हो .....
खुद मेरा पता मुझसे ही !!!!!

1 टिप्पणी:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...