28 जून 2012

वर्षा का क्या गुरुर है !!!!!

बुँदेकी मूंदे पहनकर नाच रहा मयूर है ,
जाने उसे इस वर्षा का क्या गुरुर है !!!!!
वो छमछम नाचते बादल बदल गए है क्यों ???
कुट्टी करके बुँदेसे उसे खिड़कीसे फेंक जाते है ????
ये मौसमकी लुका छिपी मुझे बरबस तुम्हारी याद दिलाती है ,
बेवक्त मुझे आकर खिजाती है ,रिजाती है ,रुलाती है ,तडपाती है ,
नैन भिगाती है ,नींद उडाती है ,रातोंको जगाती है ...
जिंदगी अब अधूरी है तुम बिन ये कहकर जिया जलाती है !!!!!
पर तुम बिन भी हम खुश है ,
तुम बिन भी हम जीना सिख चुके है ,
तुम बिन भी हमें जीवन खारा  नहीं लगता है ,
ये कहकर हर दिन दिलको समजाते है ,
जानते है ये एक जूठे दिलासेके सिवा कुछ भी नहीं !!!!!

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