14 मार्च 2012

छुपी चिंगारी है...

एक राखके ढेरमें छुपी चिंगारी है ,
नाकाम मोहब्बतके नाम एक अश्क की बूंद ....
बस खुद ही गुनहगार थे और खुद ही फैसला सुना दिया ,
खुदके गुनाह को छुपानेके लिए हमें कातिल ठहरा दिया .....
बस एक इल्तजा है एक बार जाकर
आयनेके सामने खुदकी नज़रसे नज़र मिला तो लो ....
तुम्हारी नज़रे ही गवाही देगी की 
हम बेगुनाह थे ,है और रहेंगे ....
क्योंकि प्यार कभी अपनी फुर्सतमें जताने की चीज नहीं ,
प्यार कभी सहूलियतमें जताने की चीज नहीं ,
एक बार प्यार का ऐतबार दिलाकर ऐतबार तोड़नेकी चीज नहीं ,
खुदकी बेवफाईका दाग कोई पाक दामन पर लगाने की चीज नहीं .......
अगर समज ही नहीं पाए हो तो प्यार क्यों करते हो ???
किसी बेकसूरको सरेआम बदनाम क्यों करते हो ???
जिसका जवाब है तुम्हे खुद को मालूम वो सवाल दुनिया को क्यों करते हो ???

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