आज सुबह सुबहमें....
मैं और मेरी चाय ये बातें कर रहे थे ....
चायने पूछा तू मुझे कपमें ही क्यों पीती है ???
मैंने ख़ामोशीसे एक सिप लिया ...
चाय फिर बोली :
तू मुझे इतना प्यार क्यों करती है ???
मैंने ख़ामोशीसे दूसरा सिप लिया ....
चाय बेताब थी मेरे जवाब को ...
उसने मेरी ख़ामोशीकी वजह पूछी ....
मैंने फिर उसका एक घूंट लिया ....
चाय बोली :
बेमुर्रवत इतना चाहती है तो इकरारे मोहब्बत भी कर ले ...
मैंने फिर एक लम्बा घूंट भरा ...
अब चाय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा ...
उसने आँखे लाल कर दी .....
मैंने आखरी घूंट लिया और मुस्कुराकर अब बोली:
डियर , तुम हमेशा गरम गरम ही अच्छी लगती हो ....
इस लिए मैंने पहले ये तुमसे भरा हुआ कप ख़त्म किया ....
अब तुम्हारे हर सवालके जवाब तुम्हे
मेरे दिलसे पूछ लेने होंगे !!!!
मैं और मेरी चाय ये बातें कर रहे थे ....
चायने पूछा तू मुझे कपमें ही क्यों पीती है ???
मैंने ख़ामोशीसे एक सिप लिया ...
चाय फिर बोली :
तू मुझे इतना प्यार क्यों करती है ???
मैंने ख़ामोशीसे दूसरा सिप लिया ....
चाय बेताब थी मेरे जवाब को ...
उसने मेरी ख़ामोशीकी वजह पूछी ....
मैंने फिर उसका एक घूंट लिया ....
चाय बोली :
बेमुर्रवत इतना चाहती है तो इकरारे मोहब्बत भी कर ले ...
मैंने फिर एक लम्बा घूंट भरा ...
अब चाय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा ...
उसने आँखे लाल कर दी .....
मैंने आखरी घूंट लिया और मुस्कुराकर अब बोली:
डियर , तुम हमेशा गरम गरम ही अच्छी लगती हो ....
इस लिए मैंने पहले ये तुमसे भरा हुआ कप ख़त्म किया ....
अब तुम्हारे हर सवालके जवाब तुम्हे
मेरे दिलसे पूछ लेने होंगे !!!!
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