मुझे पहचानते हो ???
मैं एक कविता हूँ ....
बिलकुल प्रवाहित स्वरूपा...
दिल से निकलती हुई कागज़ पर बह निकलती हूँ ......
स्याही की संगतमें और निखरती हूँ ...
कमसिन कमरिया मेरी कलमकी
और हर रंगके लिबासमें सजती हूँ ....
अपने दिलके अरमानों का एक जरिया हूँ
दुसरे दिल तक पहुँचनेका एक नजरिया हूँ ....
क्या तारीफ करू मैं खुदकी अपनी जुबाँसे
शर्मोहया से डूब जाती हूँ ...
मेरे चेहरेकी लालिमा कहती हूँ
डूब जाती हूँ ..बस यूँही .......
मैं एक कविता हूँ ....
बिलकुल प्रवाहित स्वरूपा...
दिल से निकलती हुई कागज़ पर बह निकलती हूँ ......
स्याही की संगतमें और निखरती हूँ ...
कमसिन कमरिया मेरी कलमकी
और हर रंगके लिबासमें सजती हूँ ....
अपने दिलके अरमानों का एक जरिया हूँ
दुसरे दिल तक पहुँचनेका एक नजरिया हूँ ....
क्या तारीफ करू मैं खुदकी अपनी जुबाँसे
शर्मोहया से डूब जाती हूँ ...
मेरे चेहरेकी लालिमा कहती हूँ
डूब जाती हूँ ..बस यूँही .......
वाह कविता को क्या खूब गुना है।
जवाब देंहटाएंसच आप एक कविता ही है.... खुद को कविता के शब्दों में खुबसूरत ढंग से उतार दिया आपने....
जवाब देंहटाएंdhanyvaad aapka .....sharmate hue !!!
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