समुन्दरकी मौजोंसे भीगी हुई रेत पर
लिखा हुआ नाम दूसरी लहरके आते ही मिट जाता है ,
और हर बार फिर लिखने का जूनून उस नामको ,
शायद ये ही प्यार है ....प्यार है ....सिर्फ प्यार ...
जब ऊँगलीसे लिखती हूँ उसका नाम रेत पर ,
लगता है किसीने मेरी आँखों पर हथेली रख दी हो ...
जब लिखती हूँ नाम उसका रेत पर ,
रेतकी नमीमें उस भीगी साँसोंकी खुशबू लहेराती है ...
उस नाममें सिर्फ उसकी तस्वीर देखती हूँ ,
तो नजदीक आनेवाली मौजे भी हौलेसे मुस्कुराती है ...
ये समुन्दरका किनारा ,उसका साहिल ,
और तेरा इंतज़ार और एक तन्हाई ...
तेरी यादोंके सहारे जिंदगीके हर लम्हेको जीनेके लिए ,
बस इतना साजोसामान काफी है .....
बस प्यार ऐसा ही तो है !!
सामने अथाह जलराशिसे लहराता समुन्दर हो ,
पर उसके खारे पानीमें सिर्फ और सिर्फ प्यास ही शेष हो !!!
न पाने की कोशिश
न खोने का डर हो ...
न सामने कोई आयना हो ,
फिर भी मेरी नज़रमे सिर्फ उसकी ताबीर हो !!!
बस ये प्यार मेरे प्यारके नाम समुन्दर और पानी !!!!
प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति........
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