15 नवंबर 2011

एक सपनोकी परी ...

एक दुनिया है मेरे सपनोकी
उसमे एक  सपनोकी परी रहती है ....
रोज रोज रातको वो सितारे पहनकर आती है ,
चांदकी चुनरमें वो अपना चेहरा छुपाती है ....
नाम उसका पुकारे कभी तो
हंसकर वो शरमाती है ...
दामन उसका थामकर साथ साथ चलूँ
तो हलकेसे दामन छुड़ाती है ....
उस परी को हम मुस्कान कहकर पुकारते है ,
मुस्कानकी मुस्कराहटसे
मेरे दिलकी वादियोंमें बहारें निखर जाती है ...
एक दुनिया है मेरे सपनोकी
उसमे एक सपनोकी परी रहती है ....

1 टिप्पणी:

  1. एक दुनिया है मेरे सपनोकी
    उसमे एक सपनोकी परी रहती है ....मेरी भी दुनिया में भी ऐसा ही कुछ है..... बहुत ही अच्छी पंक्तिया.....

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