बेइंतेहा तन्हाईके आलममें
एक जुगनू से तुम आये क्यों ???
बस लगा रातकी काली चद्दर पर
किसीने एक सितारा टांक दिया .....
बस खुदके कदमोकी चाप सुनाई देती थी ,
वो आवाज़ भी कुछ बेगानीसी लगने लगी थी ...
कदमोंके निशाँ मेरे वो रिमज़िमसी
ओसकी बुँदे मिटाए जा रही थी ....
भीगे भीगे लम्हे
रातके उस काले सफे पर
बरबस एक नज़्म गुनगुना रहे थे ....
सितारोंके हुजूम भी हामी भरकर सर हिलाते थे ......
बस वो सरगोशी तुमसे खयालोमें
वो लम्हे ...
उन लम्होंमें तुम बहुत याद आये ...
कसमसे ...
बहुत अच्छे।
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat abhivasykti...
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