मैं जा रहा हूँ ....
इस बेमुर्रवत दुनियासे दूर ...
मन नहीं लगता मेरा अब ....
बेजानसी ये दुनिया रास नहीं ...
कल जब तुम लौटोगे
बंद किवाड़ खोल देना ये हौलेसे ....
सारी चीजें साजोसामान यूँही मिलेंगे
जैसा तुम छोड़कर गए थे ....
मेरी एक भी याद पर
गर्दकी परतें नहीं जमेगी ,न जम सकेगी कभी ....
क्योंकि मेरे जाने के बाद
उन सारी यादोंको सहलाते रहोगे तुम !!!
और अश्क पोंछनेके लिए रुमाल भी होगा हाथोंमें
तनहा हो जाओ फिर भी मेरी यादोंके कारवां
तनहा न करेंगे तुम्हे ये वादा है .....
कोई नया हमसफ़र मिल जाए कभी तो
हाथ थामकर उसका दो कदम साथ चल देना ....
मैंने ऐसा क्यों किया ????
बस अपने दिल से पूछो ....
सारे जवाब भी तुम्हारे पास छोड़ आया हूँ ...
तुम्हारे ही सवालों के .........
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