एय बादल तु इतना सफ़ेद क्यों है ???
तु तो राधाके श्यामसा ही मोहे सुहाए ....
तरस गयी तोरे दरस को अँखियाँ
पर तु कारा होकर क्यों ना आवे ???
चलो हम सागर को फुनवा लगावत है ,
एय सागर इ का होई गवा तोहार को ?
कोई कट्टी हुई गवा बदरा से ?
क्यों ना जल भरत उसकी गगरियामें ???
थोडा सा जल देकर तेरा भण्डार तो खाली होगा नहीं
तो फिर देदे थोडा जल हमरे बदरवा को भी ....
एय पागल पवन जल भरके गागर बादर की भारी गयी है ,
तु भी थोडा धक्का लगा दे ,
अब पवनपंख पर होकर सवार बदरा
तु हमार अंगनाको भीगा दे .....
तेरी सखी बिजुरिया को बोल थोडा कम गरजे ,
बस यूँही आँखे चमकाए तोहार संग डोले ....
मेरा अंगना तोरा जल ...
बरस बरस एय कारे घन तो हमरा मन भी पावे थोडा हर्ष ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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