15 अप्रैल 2011

वेकेशन

वेकेशन .....!!!!!!
एक खुबसूरत अल्फाज़ जो अपने में बहुत कुछ समेटे है जिसकी हमें चाहत होती है ....
अपनी रोजाना जिंदगीसे हटकर कुछ अलग सा ...विश्राम सा ....
वैसे इससे पहली मुलाकात तो स्कुल से हुई थी ...एक दीवाली का वेकेशन और दूसरा गर्मी का .......ढेर सारी छुट्टियाँ और पढने की किट पिट से छुटकारा ...यारो दोस्तों की टोलीमें बहुत सारे पल गुजारे जो आज करोडो रुपये देकर भी वापस नहीं मिलते ......वो कंचे ,वो गुल्ली डंडा , दोपहर में एक घर में बैठकर खेले जाते लूडो ,सांप सीडी ,व्यापार ,केरम और ताश तो कैसे भूल सकते है ,नेपोलियन बनने की ख़ुशी ....इन सब की जगह आज कुछ अलग चीजों ने ले ली है ...हमारे वेकेशन में माँ बाप की दखल बहुत कम होती थी ...
और अब ????
यूरोप टूर ,या विडिओ गेम , डी वी डी ,और कितना कुछ !!!!! पर सिर्फ बच्चो को नहीं हम सब को अपनी रोजाना दौडभाग से थोड़े छुटकारेके पल की आशा होती है ना ??
बिलकुल हाँ .....एक दिन खाना नहीं बनाना पड़े ...एक दिन अचानक छुट्टी डिक्लेर हो जाए ...ऑफिस पहुंचते बिजली गुल और शायद वो तीन चार घंटे तक ना आये तो काम ठप्प और उस वक्त थोडा किया गया सैर सपाटा ....किसी दिन एक दोस्त का जबरन अपने घर ले जाना और हमारे परिवार को भी उधर ही बुला लेना ...फिर किया गया हुडदंग .....रस्ते पर कोई पुराना दोस्त या सहेली मिल जाती है उसके साथ किसी नजदीक की कोफ़ी शॉप या चाय की कितली पर जाकर वो चुस्कियां लेते हुए की गयी गपशप ...... एक दिन अचानक से बारिश का आ जाना , और पैदल भीगते हुए घर जाना ......
अपने घर की बालकनी में खड़े होकर आसपास की घटनाओ को एक नयी नजर से देखना ...... हमारे घर के सामने एक बड़ा सा बंगला है ...वहां आजकल उनकी बेटी अपनी नवजात बच्ची को लेकर मायके आई हुई है ...हर रोज सुबह एक नजारा होता है ....झूले पर वो बेटी बच्ची को लेकर आती है और फिर घर का हर सदस्य उसे बारी बारी से खिलाने आता है ...ये नज़ारा पंद्रह से बीस मिनट तक जरुर चलता है ...मैं उस वक्त सोचती हूँ की वो बच्चा उस वक्त किस भाषा में सोचता होगा ...हमारे जो बचकाना नखरे होते है उसे देखकर उसे क्या खयाल आते होंगे ??? उदाहरण : बच्चू जब नए कपडे पहनकर मुझे उठाकर तो देख ...उस पर सु सु नहीं की तो देखना ....और बिना कुछ कहे मेरे रोजाना कामकाज से एक हँसी और कुछ पलों का वेकेशन अनायास ही मिल जाता है ....
हाँ बस एक ऐसा ही छोटा पंद्रह दिनों का वेकेशन मैं भी लेने जा रही हूँ ....कुछ पल मेरे अपनों के लिए मेरे अपनों के साथ ........
बिरह ये समजा गया की मिलन का वजूद क्या था ???
तेरे से जुदा होकर भी तेरे खयालो में जीते रहे हम .....

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (16.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  2. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

    जवाब देंहटाएं

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