दरख्तों पर पत्ते किवाड़ें खोलकर बैठे थे ,
हवाके झोकोंसे उडा हुआ एक खाली लिफाफा उडा ,
बैठा उस डाली पर जैसे उसके खुलनेकी ख़ुशी का इजहार कर रहा ,
एक बेबस लाचार खड़ा रहा भरी धूपमें उस लिफाफे के गिरने के इंतज़ारमें ,
उस लिफाफे पर माशूका के उंगलीके निशाँ थे ,
उस लिफाफेमें उसकी हयात की खुशबू थी .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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