29 मार्च 2011

उसके आने की आह्ट ...

दरख्तों पर पत्ते किवाड़ें खोलकर बैठे थे ,
हवाके झोकोंसे उडा हुआ एक खाली लिफाफा उडा ,
बैठा उस डाली पर जैसे उसके खुलनेकी ख़ुशी का इजहार कर रहा ,
एक बेबस लाचार खड़ा रहा भरी धूपमें उस लिफाफे के गिरने के इंतज़ारमें ,
उस लिफाफे पर माशूका के उंगलीके निशाँ थे ,
उस लिफाफेमें उसकी हयात की खुशबू थी .....

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