बस एक रात की बात थी ,
मैं और वो मुसाफिर थे ,
बस सफ़र के साथ की बात थी ,
उसको सुनते रहे हम रात भर यूँही एकटक देखते हुए ,
फिर सुबह होते ही बिछड़ जाने की बात जो थी .....
थोड़े लम्हों का साथ था ,
फिर भी उसमे एक जिंदगी जीने की बात थी .......
साथ साथ दोनों सफ़र रहे
फिर भी वो मंजिल अलग होने की बात थी ....
कहीं फिर मिल जाओ ऐसे ही बहार बनके एक बार ....
तुमसे मिलने की उम्मीद जागने की बात थी ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

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रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
sammananiya.
जवाब देंहटाएंbandan ,
aapke saral shabd chayan kava ki aatma ko uske mukam tak le jane mem safal hai .bhav aur abhivyaki dono sajag hain ,ruchikar hain .aabhar.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|
bahut bhawmayi rachna hai..---dhanyawad
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