2 मार्च 2011

वो एक सफ़र की बात थी ...

बस एक रात की बात थी ,
मैं और वो मुसाफिर थे ,
बस सफ़र के साथ की बात थी ,
उसको सुनते रहे हम रात भर यूँही एकटक देखते हुए ,
फिर सुबह होते ही बिछड़ जाने की बात जो थी .....
थोड़े लम्हों का साथ था ,
फिर भी उसमे एक जिंदगी जीने की बात थी .......
साथ साथ दोनों सफ़र रहे
फिर भी वो मंजिल अलग होने की बात थी ....
कहीं फिर मिल जाओ ऐसे ही बहार बनके एक बार ....
तुमसे मिलने की उम्मीद जागने की बात थी ......

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. sammananiya.
    bandan ,
    aapke saral shabd chayan kava ki aatma ko uske mukam tak le jane mem safal hai .bhav aur abhivyaki dono sajag hain ,ruchikar hain .aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
    महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं

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