16 फ़रवरी 2011

कुछ अलग से एक दिन

कभी दिन जो निकलता है वो कुछ ऐसे निकलता है की उसे हमारे सारे प्लान की धज्जिया उड़ानी ही हो ....पर दिन के अंत में आप अगर सोचे तो कुछ अलग से गुजारा दिन हमें वो बहुत कुछ देकर जाता है जैसा हमने कभी सोचा था ...और रूटीन जिंदगी में इस बात की कोई सम्भावना हमें नज़र ना आई थी ....
मेरा कल का दिन कुछ ऐसा ही रहा .....
एक करीबी रिश्तेदार की मरणोत्तर उत्तरक्रिया में जाना था ...पर पिछले तीन दिन से शहर में रिक्शा की हड़ताल चल रही थी ...मैं के नजदीक के रिश्तेदार के घर गयी और वहां से हमें शहर के दुसरे छोर तक जाना था ....पौने घंटे के बाद भी रिक्शा नहीं मिली तो मैं और वो लेडी उसके घर बैठ गए ...वहां उसके घर ही खाना भी खा लिया सिर्फ सब्जी रोटी....ना हमारे दोनों के पतिदेव साथ थे ना ही बच्चे ....उन दो घंटे में हमने इतनी ढेर सारी बाते की वो भी बेफिक्र हो कर बिंदास ...खूब हँसे और कुछ दिल का गुबार भी निकला .....बाद में पतिदेव को फोन करके बताया की हम यहाँ है ...तेज धुप में चलकर घर वापस गयी .......कुछ रिश्तेदार बिच रस्ते इंतज़ार करके लौट गए ......पर ये जो एक तरह से बगावत कर ही ली वो मुझे सचमुच खुश कर गयी ...सब कुछ भूलकर कुछ पल अपने लिए भी ....

हमारे परिवार में सिर्फ महिलायें ही होती है जिसका जीवन बाकी लोग के पीछे चलता है और वो अपनी राह तक खो देती है कभी कभी गृहस्थी में खोकर ...पर ऐसे पल जी लेने चाहिए ठंडी हवा के झोंकोंकी तरह .......

कल मुझे सच मुच लगा मेरे ब्लॉग का शीर्षक यथार्थ : जिंदगी : जियो हर पल ....

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. रोजमर्रा के काम से जरा हट कर कुछ हो तो अच्छा भी लगता है।

    जवाब देंहटाएं
  3. preeti ji
    aapki ''gabbar vali post''ek aur blog ''http://myshekhawati.blogspot.com'' par ''k.g.maheshwari 'ke dwara E.mail dwara bheji gayi ke roop me prakashit ki gayi hai .kya aap se anumati lekar yah bheji gayi hai .yadi nahi to aap upar likhe url par shikayat kijiye aur apni post ko apna naam dilvayen .

    जवाब देंहटाएं

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