कुछ रूककर चले,
तुम्हे ऐतराज़ ना हो गर
तो हाथ थामकर चलें ??
मंजिल एक भले ना हो अपनी
फिर भी मिले है गर नसीब से
तो कुछ कदम साथ तो चलें !!!!
आगे दोराहा आएगा ,फिर ?
अगर तुम्हारा साथ पसंद आ गया
तो हम तुम्हारे साथ चलेंगे ...
गर तुम्हे हाथ छोड़ना गवारा ना हो मेरा
तुम मेरे राह पर चल देना .....
गर दोनों की राह बदल गयी तो
एक दुसरेके दिल में यादो का घरौंदा बनकर चलेंगे ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
ise bhi bhejengi ... yah rachna bahut hi apni si lagi
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