कुछ कहे अनकहे अल्फाजोंमे सिमट कर बीती
एक एहसाससे भरी शाम थी
कोई जैसे पयाम थी ,
कुछ कहीं कुछ कह रही थी ,
मैंने सुना नहीं
बीचमें कांच की दीवारें थी .......
बस देखते देखते अँधेरा होता गया घना ,
फिर भी तुम्हारे चेहरे को देखा जैसे चाँद खुले आसमां का हो ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
vo sham ...vastav me bahut hi khas andaj me likhi hai kavita .shubhkamnaye .
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