एक दिन का इंतज़ार था मुझे
जब ख़ुशी मेरे द्वार पर मुझसे मेरा पता मांगे ....
बस कल उसने दस्तक दी
और मैं उसके साथ चल पड़ी .......
===============================
नज़र तो झुकी रह जाती है
इश्क फिर भी बोलता रह जाता है ....
कभी इश्क खामोश रहकर भी
सफे पर दास्ताने लिख जाता है ..........
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
वहुत खूब !
जवाब देंहटाएंइश्क के सम्बन्ध में वहुत सही कहा है आपने क्योंकि इश्क बिना कहे ही सब कह देता है
प्रेम के लिए शब्दों की क्या जरुरत है .
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंविचार-परिवार