एक नया सफ़र भविष्यकी दिशा
कुछ देखी कुछ धुंधली ...
पर सड़क रहगुजर
कभी कोई हमसफ़र
कभी बिलकुल अकेली .....
एक नए साल की शुरुआत हुई
बहुत सी उम्मीदे लेकर आती है
कुछ उम्मीदे पाती है
कुछ राहोंमें तनहा छुट जाती है ...
फिर भी उम्मीदका दामन नहीं छोड़ा ,
एक एक साल करके एक एक पल करके हर साल
मुठ्ठीमें रेत की तरह सरकता सा चलता गया ...
तनहा ,भीड़ में ,गाता कभी खामोशसा ....
देखो एक और मुठ्ठी खुल रही है ...
मेरी हथेलीसे नयी रेत सरक रही है ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
-
बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी , सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा , उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण आग चुभाते है नश्तरों के ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें