मुझे चुप रहना भी आता था ,
पर उनसे नज़र क्या मिली जुबाँ ने सारे बंधन तोड़ दिए .....
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सुकूनसे बसर करने की आदत थी वक्त को भी ,
बस तुमसे मिलने आते है तब वो क्यों पंख लगाकर उड़ने लगता है ??
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तुम्हारी आँखोंसे देखी दुनिया तो
क्यों इतनी बदली बदली सी नज़र आती है ??
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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