21 अक्तूबर 2010

तुमसे मिलने पर ....

मुझे चुप रहना भी आता था ,
पर उनसे नज़र क्या मिली जुबाँ ने सारे बंधन तोड़ दिए .....
============================================
सुकूनसे बसर करने की आदत थी वक्त को भी ,
बस तुमसे मिलने आते है तब वो क्यों पंख लगाकर उड़ने लगता है ??
============================================
तुम्हारी आँखोंसे देखी दुनिया तो
क्यों इतनी बदली बदली सी नज़र आती है ??

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...