वो ख़ुशी जो आँखे बयां कर गयी अश्कके मोती बनकर ,
बस कुसूर इतना रह गया की जुबाँको खामोश कर गयी ....
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कोई क्या कहेगा जब दीवारें सामने हो ,
कभी ये भी देख लेते तो पता चलता
दीवारों के भी कान होते है ,वो सुनती है ,
इतिहास गवाह है दास्ताने भी सुनाती है वह ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
15 अक्टूबर 2010
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