कल सपनेमें वो आये थे चाँद बनकर ,
आधा चाँद ढका हुआ परदेमें ,
शर्म से लाल थे रुखसार ,
कांपती उंगलिया ,
थरथराते होठ ,
झुकी हुई पलके ,
बस एक इल्तजा लिए
इकरारे मोहब्बतकी बैठा रहा
तकिये पर खुली खिड़की पर पलकें बिछाकर
वो चाँदसे उतर आयेंगे
और इजहार करके जायेंगे ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएं