कभी चुप रहकर
कभी बोल कर खूब सताती हो ,
फिर भी जाने के बाद
तुम ही तुम याद आती हो ......
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तुम्हारे ख्याल से उठती है सौंधीसी सुगंध
मेरा जर्रा जर्रा महक जाता है .....
बस तुम्हारी दूरी का ख्याल
मुझे अधखिली कली सा कुम्हला देता है ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कभी चुप रहकर
जवाब देंहटाएंकभी बोल कर खूब सताती हो ,
फिर भी जाने के बाद
तुम ही तुम याद आती हो ......
सुंदर पंक्तियां....
ati sundar !
जवाब देंहटाएंparipoorna kavita........
badhaai !
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंगीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!
बहुत खूबसूरत रचना.... बहुत ही बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियॉं, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआप अच्छा लिख रही हैं.. दोनों विधाओं में बढ़िया पकड़ है..
जवाब देंहटाएंबिटिया की महिमा अन्नत है।
जवाब देंहटाएंबिटिया से घर में बसन्त है।।
सुन्दर कविता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ..!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंभावभीनी ।
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