शीना और सारंग दो अजनबी अचानक एक ट्रेन के डिब्बेमें साथ बैठे थे ...आमने सामने की खिड़की पर ....बारह घंटे के सफ़र के बाद दोनों में एक जान पहचान हो गई जितनी दो हमसफ़रकी होती है ....सारंग उस शहरमें ही रहता था .और शीना उस शहरमें नौकरीके लिए आई थी .उसे कंपनी का एक फ्लेट मिला है .पुरे फर्नीचरके साथ .एक कार मिली है शोफर ड्रिवन ....एक जाने माने अख़बारकी चीफ एडिटर बनकर ...
सारंग जर्नलिस्ट है .फ्री लांस करता है .एक सिलसिले में उसकी मुलाकात शीनासे दोबारा हो गई .दोनों खुश हो गए .दोनों बड़े ही होशियार थे .अपने प्रोफेशनल और पर्सनल जीवनको अलग ही रखते थे .कभी कभी लंच या डिनर साथ होने लगा .धीरे धीरे दोस्ती कुछ और गहराईकी और बढ़ रही थी .तब अचानक एक दिन सारंग को बीना बताये शीना अपने शहर चली गई .लौटी तो कहा उसकी देल्हीमें श्री के साथ एंगेजमेंट हो गयी है ...प्यार तक आगे बढ़ रहा एक रिश्ता वहीँ ठहर गया .....दोनों की दोस्तीमें कोई बदलाव नहीं आया ....
शहर में दंगे हो गए .उस वक्त शीना को चौबीस घंटे अखबारके ऑफिस में रहना पड़ा काम के सिलसिले में .उस वक्त सारंग भी उसके साथ ही रहा .शीना ने महसूस किया की सारंग उसका कितना ख्याल रखता है .उसे कुछ भी कहना नहीं पड़ता .वो उसको खुद शीना से भी ज्यादा जानता है ।
उसे श्री याद आया .एक साडी खरीदते वक्त उसे ऐसी साडी लेनी पड़ी जो सिर्फ श्री को पसंद थी और उसे कतई पसंद ना थी .उतना ही नहीं श्री ने उसे वो साडी पहनकर उसे एक पार्टी में साथ जाने को मजबूर भी किया .......
अचानक श्री ऑफिसमें आ गया .दंगो की खबर उसे यहाँ खिंच लाइ ...उसे सारंग का उधर होना गंवारा ना हुआ .उसका शीना के साथ झगडा हो गया । जाते वक्त शीनाने सगाई की अंगूठी उसे वापस कर दी ........
सारंग हक्का बक्का रह गया .शीनाने सिर्फ इतना ही कहा की एक जबरदस्तीसे खींचा हुआ रिश्ता क्या कामका ???
दुसरे महीने शीनाने अपना तबादला अपने शहर करा लिया .....जाते वक्त सारंगने पूछा ,"शीना क्या तुम मेरे साथ जिंदगी गुजारना पसंद करोगी ??"
शीनाने कहा ," सारंग तुम कल्याणी को चाहते हो ना ? जब मेरी सगाई हो गई तब तुम्हारे जीवनमें वो आ गयी थी मैं जानती हूँ ...मेरी तक़दीर मेरी है ...मैं उसके कारण कल्याणीकी ख़ुशी नहीं छीन सकती ......."
ट्रेन छूटने लगी और शीना देर तक सारंग की और हाथ हिलाती रही ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
10 अगस्त 2010
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