एक लम्बा अरसा हो गया तेरा दीदार किया था ,
एक मुद्दत तक मेरे दिलने तुझे चाहा था ,
उस बेकरारी में भी एक करार था ....
वो हकीकत थी या सिर्फ मेरे मन का वहम था ???
पर जो भी था बड़ा ही लाजवाब था ....
वो गली के नुक्कड़ पर तेरी झलक के लिए
घंटो बेवजह हम खड़े हो जाते थे ...
तेरा दीदार हमारे लिए दिन के वक्त में चांदनी का खुमार था .......
ये मुद्दत का हमें आज भी इंतज़ार है ...
आज भी तेरे लिए ही ये दिल इतना बेक़रार है .....
तुम आओगे ना ????
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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