26 जुलाई 2010

क्या जानो ???

क्या जानो आप की जुबान किसे कहते है ???
क्या जानो लब्जों को जो बेजुबान रहते है ???
क्या जानो उन सवालोंको जिसके कोई जवाब नहीं होते है ????
क्या जानो उन बंदगी को जो पत्थरसे टकराती है ????
क्या जानो उन आवाजोका गम जो बहरे कानोसे टकराती रहती है ????
क्या जानो उन अश्कका दर्द जो हँसते लबोंसे आते है ????
क्या जानो उन तनहाई को जो मेले में मिल जाती है ????
क्या जानो उन अपनोंको जो गैरोंसे पेश आते है ????
मैंने पा लिया है एक जहाँ वहां जहाँ मेरी सदा आसमांसे टकराती है ........
कांचकी दीवारोंके पार खुले जहाँसे बात कर आती है .....

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्या जानो उन बंदगी को जो पत्थरसे टकराती है ????
    क्या जानो उन आवाजोका गम जो बहरे कानोसे टकराती रहती है ????


    यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.....


    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति के साथ सुंदर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  2. मैंने पा लिया है एक जहाँ वहां जहाँ मेरी सदा आसमांसे टकराती है ...
    कांचकी दीवारोंके पार खुले जहाँसे बात कर आती है .....
    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं

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