यूँ शर्मीली दुल्हनसी रात का घूँघट खोल
वो सूरज के आना...क्या कहेना ???
सितारोंकी श्यामल ओढ़नी में थके तपते सुरजका
वो रात के आँचलमें सो जाना ....क्या कहना ????
पेड़की घनी घटामें सूरज छाँवमें छुपने आता है
तब अम्बियाके बीच कूकती कोयल का गाना ...क्या कहना ?????
श्यामल श्वेत बादलोंके बीचसे धरती को चिढाते हुए
सूरज का आँख मिचौली खेलना ....क्या कहेना ????
लाइफ कुछ बोरिंग सी हो गयी है ना ???
उसे थोडा चटपटा बनाते है .......
सनम का हाथ थामकर बाग़ में घुमने गए उसी वक्त
उसके बापू का इवनिंग वोक पर वहा आना ...क्या कहना ????
घर से निकलते ही रस्ते पर चलते ही
महबूबाको देखने ऊपर देखते है
वो पहले मजलेसे जूठन का गिरना ...क्या कहना ?????
हाई हील के सेंडल पहनकर मदमाती
चालसे गुजरती हुई
मेरी माशूका का केले के छिलके पर पैर फिसलना ...क्या कहना ?????
बिना चश्मा पहने उनके
लिए प्यारसे बनायी गयी खीर में
पीसी चीनी की जगह नमकका डाल देना..... क्या कहना ????
बुलाया था जिसे मिलने के लिए पहली डेट पर पहली बार
उसी महबूबा के मुझे उस वक्त राखी बंद कर चले जाना.... क्या कहेना ??????
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
10 जून 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें