मैं कौन ????
मैं एक परिंदा ...!!!!
कुदरतकी एक अनजानीसी साजिश ...
इंसान की नज़र की एक मजाक ...
फितरत मेरी मिजाज़ मेरा ख्वाब मेरा
एक ही !!!!
उड़ जाऊं खुले आसमानमें !!!!
और यहाँ
एक पिंजरेमें कैद हूँ
हँसते हुए इस पिंजरेका दरवाजा भी खुला रखा गया है .....
पर कासे कहूँ मेरी पीर ???
मेरे पर काट दिए गए है !!!!!
बहुत सुंदर भाव के....साथ.... सुंदर प्रस्तुति....
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