उबलती धुपमें बादलोंके पानी में
चायपत्ती और चाशनी के घुलने का इंतज़ार है ,
बालकनी पड़ी वो खाली बेंतकी कुर्सी पर बैठ
वो बारिश की रिमज़िम का इंतज़ार है ....
चाय की वो चुस्की और पकोड़े का सामान भी तैयार है ....
अय बारिश तेरा ही इंतज़ार है ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
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