एक हरा पत्ता बैठा था कोमलसी शाख पर ,
एक बूंद गिरी उस पर ,
वो कुम्हला गया ,
वो सुख गया ,
क्यों ?
वो बूंद मेरे अश्ककी थी ,
जब वादा करके भी तुम ना आये ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
बहुत अच्च्दा लिखा है।
जवाब देंहटाएंwaah......gazab ka likha hai.aapki rachna kal ke charcha manch par hogi.
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