शबनम सरकती नज़र आ रही थी ,
सुबहकी कोमल किरन भी आपको झुलसा रही थी यूँ ,,,,,
==========================================
तुम्हे पा लेने की तड़प भी अब नहीं रही ,
कहते है जनाजे पर इंसानकी रूह होती है
जब चाहे जहाँ चाहे जिसे चाहे
वहां पर वो जाने तमन्नाका दीदार कर सकती है .....
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंwaah preeti ji bahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.... दिल को छू गई.... बहुत खूबसूरती से शब्दों को पिरोया है आपने.....
जवाब देंहटाएंjhandu baam hai ye
जवाब देंहटाएं