अँधेरेकी आगोशमें लिपट कर
चुपकेसे कुछ अल्फाज़ सोये है
क्या पता उन्हें की
सोते हुए वो मासूम बच्चेसे दीखते है !!!!!
कुछ ख्वाब पलते होगे यूँ सोते हुए भी
पलकोंके तले कुछ हलचल भी नज़र आ जाती है ...
कुछ लम्हात गुदगुदी कर जाते होगे
नींदमें भी लबों पर एक मुस्कान झलक जाती है ....
कसक की टीस भी जवान होती है गर
चुपके से एक अश्क बनकर अनायास ही गालों पर बह जाती है ....
अँधेरे की आगोशमें लिपट कर
चुपकेसे जो अल्फाज़ सोये है
दिनके उजालोंमें वो कुछ कहनेसे शर्मा गये थे
एहसास उनके आज एक लड़ी में पिरोये है ....
nice
जवाब देंहटाएंसोये ही रहने दें, बेहतर है. :)
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