पता नहीं इन दिनों खुद को हम खुली हवाके कैदी की तरह महसूस कर रहे है ...जैसे हमें एक ऊँची जगह पर रखा गया है .दुनियाभर की सहूलियत हमें मुहैया करा दी गयी है ...हम पूरी दुनिया को देख भी रहे है पर दुनिया और हमारे बीच एक कांच की दीवार है ...
ऐसी ही हालत हो जाती है जब घर में ऐसे हालात हो जाते है की सब अपने चरम कार्य में डूबे हो और हम बिलकुल निठ्ठले से बैठे रहे ...हाँ , परीक्षा का मौसम है तो संतान अपनी तैयारीमें मशरूफ है ...पतिदेव अपने कामकाजमें ...हम घर के काम के बाद कहीं आ जा भी नहीं सकते क्योंकि पास पड़ोस की कुछेक सहेली के वहां भी यही हाल ...और फोन पर बात और बक बक करना पसंद नहीं मुझे ...
ऐसे हालात को एक शुन्यवाकाश कह सकते है और मन हो जाता है कोरी पाटीसा ...कुछ सुझाता नहीं क्या नया लिखे ??पर शायद ये मन के मौसम का रिचार्ज होने का बहाना है ...उसे भी आराम चाहिए ..बस उसे खुला छोड़ देना ही बेहतर होगा ......आज कल इतने बेहतर आर्टिकल पढने में आ रहे है जैसे जिंदगी की छोटी और सीधी बातों की संजीवनी हाथ लगी हो ...नए विचारों का आयाम होता है तब ये एहसास भी होता है की हमारी कमियाँ कितनी है ???उसे दूर कैसे की जाय ???
खुदमें एक धीरी करवट लेता हुआ परिवर्तन महसूस होता है ..पहले रोज के पोस्ट देना होता था ...पर वो शायद मन को संतुष्टि दे या ना दे !!पर अब जब तक एक गहराई ना महसूस हो तब तक पोस्ट नहीं लिखती ...कहते है की आपको पॉँच पृष्ठ जितना लिखने के लिए पांचसौ हज़ार पृष्ठ पढना आवश्यक है ...तभी आप अपनी बात सीधे दिल तक उतार सकते है ...आपकी कलममें एक सच्चाई की छबि उभर सकती है ......
हमारे मन की शक्ति का एहसास होता है और उस शक्ति का उपयोग भी करना आ जाता है ...एक कहीं भटकी भटकी सी लगने वाली ये पोस्ट भी एक नए मोड़ का एहसास दिला जाती है .....
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