8 मार्च 2010

नारी दिवस मुबारक हो ....

नारी दिवसकी हार्दिक शुभकामनायें ...........

१००वे नारी दिवस के दिन हमारी लोक सभा में ३३% अनामत का बिल भी पास होने जा रहा है तब एक बात याद आई है ...

हर नारी दिवस पर मुझे एक द्रश्य याद आ ही जाता है ....

मेरे घरके पास कुछ आदिवासी जो मजदूरी करके अपनी गुजर चलाते है ऐसे चार पॉँच कुनबे रहते है ...एक बड़ी सुबह मैं चलने के लिए गई तब मैंने देखा अपने तीन चार माहके बच्चे को एक औरत खूब दुलार देकर उससे खेल रही थी ...पास ही एक लकड़ी के चूल्हे पर एक मट्टी के तवे पर उसका मर्द मक्के की बड़ी बड़ी रोटी उतार रहा था ...और बच्चेके साथ खेलते हुए वो औरत नाश्ता कर रही थी ...नाश्ता कम लंच मर्द बना रहा था फिर सूरज उगते ही दोनों मजदूरी पर जायेंगे ...बच्चे को कपडेके झोलेमें सुलायेंगे ...और कंधे से कंधे मिलाकर पूरा दिन काम करके लौटेंगे .......

ये लोग कुछ पढ़े लिखे नहीं है ...पर उनके लिए औरत का सम्मान कितना सहज है ...वे लोग कन्या भ्रूण हत्या भी नहीं करवाते ....

एक बार फिर एक बात दोहरा रही हूँ :

कोमल स्पर्श ,कोमल ह्रदय ,और कोमल भावनाएं है मेरी पहचान .....जो हर कठिन कार्य को मख्खनसा मुलायम बनाकर आसानीसे मंजिल तक पहुँचानेकी क्षमता रखती है .....

हाँ मैं औरत हूँ : फूल से भी कोमल और वज्रसे भी कठोर .......

आपकी जिंदगीकी पहली सांस से आखरी सांस तक अलग ही रूप में मिलने वाली एक संजीवनी यानी की मैं औरत .............

मुझे नाज़ है अपने नारी होने पर ...

मुझे गौरव है नारीत्व का ....

गरिमा एक नारी की बनेगी मेरे आत्मगौरव की पहचान .....

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