कोई कहीं से आये और कुछ गुनगुना कर चला जाए ...
बस धून रह जाती है गुनगुनाती जहनमें आपकी याद बनकर .....
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कब कोई कहाँ मिल जाए है ये तो हम ना जाने है
पर याद बनकर जो रुक जाए है बस वह दोस्त कहलाये है
यहाँ पर उम्मीद करी जाती है कम बस साथ हो वही काफी है
गम हो या ख़ुशी कोई अपनी पहले उसकी ही तस्वीर नज़र आती है ....
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तुम्हे देखते ही ख्याल आया हम मिलें है कही कभी ,
पहली बार की पहचान ये तो नहीं होती ,
चलो आसमान पर लिखी तक़दीर को पढ़े ,
कोई रास्ता चलते चलते मिल गया है अपनी राहों से ...
हाथ थामलो मजबूती से अब साथ ये साथ साथ चलता रहे ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
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