आजकी सुबह कुछ सदायें मुझे बुला रही थी ,
कुछ सदायें मुझे सुला रही थी ,
कुछ सदायें मुझे रुला रही थी ,
कुछ सदायें खुद को दोहरा रही थी ....
उस नटखट गिलहरी भागदौड़में ख़ुशी राग खयालीमें गा रही थी ,
चिड़िया भी दाना चुगने जाते हुए गीत गुनगुना रही थी ,
कौए महाशय कुछ कहते हुए बेसुरे तालमें आलाप रहे थे ,
इन के बीच बुलबुल भी आकर शोख ग़ज़लकी धूनमें डूब जा रही थी ....
भौरोंने फूलों की कैदसे आज़ादी का जोश जता रहे थे ,
तितलियोंको खिले फूलोंकी खुशबू अपने मधुके लिए दावतें दे रही थी ...
शांतिके दूत अमनका सन्देश खामोश रह कर दिए जा रहे थे ....
तब ये इंसान के बनाए गए
ट्रक के बेसुरे होर्न और रिक्शा के बेताल आवाज़की बेतुकी तान के बीच ,
मेरी रूह छटपटा रही थी .........
Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
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